लैंडफिल कैसे बनती है ?
भारत में शहरी इलाक़ों से उत्पन्न होने वाले कूड़े का 90% कूड़ा लैंडफिल साइटों में पहुँच जाता हैं। नगरपालिका कचरा आम तौर पर घरेलू और व्यावसायिक कचरे का एक संयोजन है जो भारी उपभोक्तावाद के कारण उत्पन्न होता है। अत्यधिक गरीबी, खराब प्रशासन, तेज़ी से शहरीकरण एवं बे-लगाम जनसंख्या वृद्धि कुछ प्रमुख कारण है जिसकी वजह से शहरी कचरे का निरंतर निपटान कर पाना मुश्किल हो रहा है।
बड़े शहरों के बाहरी इलाक़ों में बिना किसी योजना के ही कचरे को जमा करना शुरू कर दिया जाता है जो आगे जाकर बहुमंज़िले लैंड्फ़िल का रूप ले लेते हैं। वैसे तो लैंडफिल का उद्देश्य जहरीले कचरे को शहर से बाहर रख कर मानव और पर्यावरणीय जोखिम को कम करना है, लेकिन यह मनुष्यों पर भारी पड़ता है क्योंकि हमें कचरे से जुड़ी दूसरी समस्याओं जैसे की मिट्टी और जल प्रदूषण का सामना करना पड़ता है।
लैंडफिल में आग क्यों लगती है?
लैंडफिल में जहरीले पदार्थों के संचय का कारण अनुचित छटाई होता है। ये लैंडफिल एक टाइम बम की तरह है, जो कभी भी कहर बरपा सकता है। कचरा पहाड़ तब आग पकड़ लेता है जब वह कचरे के ढेर से पैदा होने वाली गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। इस आग से होने वाले नुकसान बहुत बड़े पैमाने पर हैं, जिसमे वायु गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव प्रमुख है।
मंगलवार को दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल में आग लगने की घटना भी ऐसा ही एक उदहारण है । भलस्वा लैंडफिल, 17 मंजिला इमारत से ऊंची है और 50 फुटबॉल मैदानों से बड़े क्षेत्र को कवर करती है, जिसमे भीषण गर्मी के बीच आग लग गई।
कचरे के अनुचित प्रबंध में इस तरह की भारी वृद्धि ने न केवल देश के संसाधनों पर दबाव डाला है बल्कि देश के स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है। ऐसे में जमीनी स्तर पर इस समस्या का समाधान जरूरी है।
हम क्या कर सकते है?
हमें यह सुनिश्चित करना होगा की कोई भी खतरनाक कचरा अनजाने में बायोडिग्रेडेबल कचरे के साथ दफन नहीं किया जाना चाहिए। अगर हम कचरे को अलग-अलग करके खाद बनाते हैं, तो ऐसी दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी।
बड़े पैमाने पर आग को रोकने के लिए निरंतर निगरानी और उचित व्यवस्था भी एक महत्वपूर्ण कदम है। कचरा अलग कर के उसको सही ढंग से recycle करने में Wastech आपकी पूरी मदद करता है। आइए हम सब मिलकर अपनी आने वाली पीढ़ी को इस कचरे के टाइम बम से बचाने के लिए एक कदम उठाएं।